Monday, May 20th, 2024

10 प्रतिशत के फेर में गंवाया एक प्रतिशत राजस्व

श्योपुर
मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग द्वारा लिए गए एक अजीबो-गरीब फैसले का उल्टा असर शासन के राजस्व पर पड़ रहा है।10 प्रतिशत टेक्स बढ़ाने के फेर में एक प्रतिशत टेक्स भी अब दूसरे प्रदेशों के खातो मेें जा रहा है। बगैर समीक्षा किए लागू किए इस फैसले से जहां किसानों की परेशानी बढ गई है। वहीं शासन को राजस्व की हानि हो रही है। इसके बावजूद परिवहन विभाग के आला अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सोए हुए है। मामला कृषि कार्यो में उपयोगी यंत्रों में से एक हार्वेस्टर (कम्बाइन) मशीन के परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन का है।

परिवहन विभाग द्वारा बगैर सोचे समझे लिए गए निर्णय के अनुसार वर्ष 2020-21 में कृषि यंत्र हार्वेस्टर मशीन के परिवहन रजिस्ट्रेशन पर टेक्स एक प्रतिशत से बढाकर सीधे 10 प्रतिशत कर दिया गया है। फलस्वरूप किसान हार्वेस्टर खरीदने के बाद अब इसका रजिस्ट्रेशन या तो निर्माण करने वाले पंजाब प्रांत में करा रहे है या फिर नजदीकी प्रांत राजस्थान की ओर रूख कर रहे  है। क्योंकि दीगर प्रांतो में अभी भी हार्वेस्टर पर रजिस्ट्रेशन शुल्क एक प्रतिशत ही है।

सवाल यह उठ रहा है कि जब अन्य प्रांतो में हार्वेस्टर मशीन पर रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं बढ़ाया  गया है तो मध्यप्रदेश में इसका शुल्क बढ़ाए जाने की क्या आवश्यकता थी। अधिकारी गण यह भी अंदाजा नहीं लगा पाए कि 10 प्रतिशत टेक्स मध्यप्रदेश में चुकाने के बजाए किसान अन्य प्रांतों से ही रजिस्ट्रेशन कराना उचित समझेगे। इस फेर के चलते पिछले सालों में जो एक प्रतिशत टेक्स के माध्यम से राजस्व मप्र शासन को प्राप्त होता था,अब वह एक प्रतिशत टेक्स भी हाथ से चला गया है। परिवहन नियमों के अनुसार वाहन मालिक किसी भी प्रांत में अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए वैध है। जिसकी मान्यता सभी प्रदेशों में एक समान है।

इसकी बानगी श्योपुर जिले में वर्ष 2020-21 में देखने को मिली है। जहां लगभग 50 से 60 हार्वेस्टर मशीने पंजाब प्रांत से खरीदी गई है।  लेकिन एक भी मशीन का रजिस्ट्रेशन श्योपुर जिले के परिवहन कार्यालय में नहीं हुआ है। सभी किसानों ने अपनी मशीनों के रजिस्ट्रेशन पंजाब अथवा राजस्थान में कराए है। अगर पूरे मध्यप्रदेश की बात करें तो एक हजार मशीने खरीदे जाने का अनुमान है और सभी ने टेक्स बचाने के चक्कर में रजिस्ट्रेशन दीगर प्रांतों से कराए जाने की संभावना जताई जा रही है। जिससे एक बड़ी टेक्स राशि का नुकसान मध्यप्रदेश को होना बताया जा रहा है।

यूं समझे टेक्स का गणित
एक हार्वेस्टर मशीन की कीमत लगभग 20 से 25 लाख रूपए के बीच होती है। करतार कंपनी की मशीन कीमत 24 लाख है। अब यदि इस मशीन को खरीदने वाला किसान इसका रजिस्ट्रेशन मध्यप्रदेश  में कराता है तो उसे दस प्रतिशत टेक्स यानि 2 लाख 40 हजार रूपए देने होगे और यदि इसका रजिस्ट्रेशन दूसरे प्रांत में कराया जाता है तो उसे एक प्रतिशत टेक्स यानि 24 हजार रूपए ही देने होगे। ऐसे में कोई भी नहीं चाहेगा कि वह मध्यप्रदेश में मशीन का रजिस्ट्रेशन कराए।इस कारण से पिछले वर्षो में जो एक प्रतिशत टेक्स राशि मप्र को मिल रही थी,वह भी अब अन्य प्रांतों के खातो में जा रही है।

पंजाब से होती है सप्लाई
हार्वेस्टर मशीन की देशभर में सप्लाई पंजाब प्रांत से ही होती है।मध्यप्रदेश सहित अन्य प्रांतो में हार्वेस्टर मशीन बनाने के कारखाने नहीं है।  इसलिए मशीन खरीदने वाले किसान पंजाब प्रांत से मशीन खरीदने के बाद डीलर के माध्यम से पंजाब से ही रजिस्ट्रेशन करवा रहे है।

वर्जन
परिवहन मुख्यालय से ही टेक्स में बढ़ोत्तरी की गई है।  वर्ष 2020-21 से ही हार्वेस्टर मशीन पर रजिस्ट्रेशन शुल्क दस प्रतिशत किया गया है।इसके पूर्व टेक्स एक प्रतिशत निर्धारित था।
आरबी कैबरे, जिला परिवहन अधिकारी,श्योपुर

Source : Agency

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